मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी, इसी दिन भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे | इसीलिए इसे काल भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है |
भैरव अष्टमी भय का नाश करने के लिए मनाई जाती है |
इनके दो रूप बटुक भैरव तथा काल भैरव बहुत प्रसिद्ध हैं |
बटुक भैरव भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरुप में विख्यात हैं तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं |
इनके अष्टभैरव -
1) असितांग भैरव, 2) रूद्रभैरव, 3) चन्द्रभैरव, 4) क्रोधभैरव, 5)उन्मत्त भैरव, 6) कपालीभैरव, 7) भीषणभैरव और 8) संहारभैरव हैं |
गृहस्थ को सदा भैरव जी के सात्विक ध्यान की पूजा करनी चाहिए |
इनके दो रूप बटुक भैरव तथा काल भैरव बहुत प्रसिद्ध हैं |
बटुक भैरव भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरुप में विख्यात हैं तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं |
इनके अष्टभैरव -
1) असितांग भैरव, 2) रूद्रभैरव, 3) चन्द्रभैरव, 4) क्रोधभैरव, 5)उन्मत्त भैरव, 6) कपालीभैरव, 7) भीषणभैरव और 8) संहारभैरव हैं |
गृहस्थ को सदा भैरव जी के सात्विक ध्यान की पूजा करनी चाहिए |

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
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